कुंडली – विज्ञान और सफ़लता

कुंडली – विज्ञान और सफ़लता

हमे जीवन में सभी प्रकार की खुशियां चाहिए, मुझे भी ओर आपकोभि। इसके लिए हम सभी उपाय जीवनभर करते रहते है, करते रहते हैं .,! लेकिन…. कुछ चुनिंदा लोग ही हीरो बन पाते है, मतलब सक्सेस को पाते है, बाकी तो बस जिंदगीभर भागते रहते है, भटकते रहते है , संघर्ष करते रहते हैं, ऐसा क्यों, आख़िर क्या कारण हैं,? तो मित्रों इसका कारण हैं, हम जिस फिल्ड – काम के लिए बने हैं, जो हमारा बेस है, या जिसमें हमारी ग्रहोसे समंधीट पॉवर है, उसे हम यूज नहीं कर पाते, मतलब कोई वैक्ती जो जुपिटर ग्रह से समैंधित है, अच्छा बोल सकता है,कोई मंगल ग्रह से समैंधिट महादशा चल रहीं , नोकरी या बिजनेस दिखा रहा है, तो उससे समंढित कार्य फिल्ड से समंधिट अगर करता है,तो निश्चित उस वेकती को सफलता मिलेगी, जैसे शौर्य का काम, नेवी, आर्मी , तो यह बताता है, जानकारी देती है आपकी कुंडली- पत्री

जन्म कुंडली (Janam Kundli)

बर्थ चार्ट, या नेटली चार्ट के रूप में भी जाना जाता है, हम इसमें 12 घरों के आधार पर व्यक्ति के जीवन को ग्रहों के उसके पॉवर और उसके स्थानको देखते है। वैदिक चार्ट, किसी व्यक्ति के जन्म की तारीख, समय और स्थान के आधार पर घरों और ग्रहों की चाल अनुसार उसकी भूतकाल, भविष्य की घटनाओं की कल्पना या अनुमान बिल्कुल लगा सकते है। जिस प्रकार अगले वर्ष का कैलेंडर पहले ही आपको देखने को मिलता है, पूर्णिमा कब होगी, अमावस कब कितने बजे से कब तक , पहले सही टाइम लिखा होता है, ओर उसी वक्त घटना घटित होती है। है ना आश्चर्य की बात।!
सीधी बात अर्थ में कहे तो, ग्रहो की स्थिति, दशा विश्लेषण, कुंडली में बनने वाले दोष एवं उनके उपाय, पत्रिका में विशेष योगों का संयोजन, ग्रहों का शुभाशुभ विचार इत्यादि जानके प्लानिंग फ्यूचर की करे तो फ़ायदा निश्चित होगा, लेकिन करना पड़ेगा, देखना पड़ेगा।
तकनिक -कुंडली कार्य आखिर करती कैसे है?
वास्तु – काल ओर परीस्थिती यह भी बहोत जरूरी होता हैं, किसी भी पत्री में, जन्मतिथि, समय ओर स्थान पर आकाश में ग्रहों का विशिष्ट आभा मंडल स्वरुप होता है। यह एक अलग भौगोलिक बिंदु से अभिलिखित किया गया है। वेक्तीं के जन्म के समय ग्रह-पृथ्वी-आकाश स्वरुप का यह स्वरुप कुंडली चार्ट के रूप में जाना जाता है। कुंडली में राशि, भाव विभाजन व लग्न राशि का संकेत दिया जाता है।
वास्तुदोष ओर कुंडली
में इक उदाहरण के अनुसार देखे। किसी जातक की कुण्डली में राहु मंगल युति हो अथवा आपस में किसी भी प्रकार का आपसी संबंध हो, ओर वह चतुर्थ भाव या चतुर्थेश को किसी प्रकार प्रभावित करा हो तो निश्चित मकान में वास्तुदोष देख सकते है, । राहु मंगल का एक साथ होने से घर में रहने वाले लोगों में चरित्र समंधिय दोष के कारण भी वास्तु दोष उत्पन्न होते
देखे —

दोष निवारण

वास्तु पुरुष मंडल में दोष और सुधार उसी दिशा में होगा , जो ग्रह की दिशा है। , राहु-केतु -नैऋत्य सूर्य-पूर्व, चंद्रमा-वायव्य , मंगल-दक्षिण, बुध-उत्तर, बृहस्पति-ईशान, शुक्र-आग्नेय कोण, शनि-पश्चिम दिशाकोण। इस प्रकार हम देखके उपाय ऐस्ट्रो-वास्तु तकनिक के अनुसार हम कर सकते है। यह विधा कठिन है, इसके लिए दिशा का उचित ग्यान होना बहुत ज़रूरी होता है, अगर सही दिशा पता नहीं तो उपाय भी करना किसी फायदे का काम नहीं। कुंडली और अपना भवन संतुलित करना मतलब खुदके जीवन को संतुलित करना है,।यह शाश्वत सत्य है इसको हम सबको समजना है,जीवन में आगे बढ़ने का एक नया आयाम तय्यार करना है, आज हर बिजनेस करनेवाला वेकति, नोकरी करे,अथवा वेपार इन सभी बातों को देखकर ही निर्णय ले रहे हैं, ओ र यह सफलता दिला रही है, ।हमे मिला ज्ञान हमारे सबके उन्नति के लिए वरदान साबित हो रहा है। ख़ुश रहें – आओ साथ चलें सुदर्शन वास्तू के संग…

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Author: Vastushastri-Achary Gopal Dhomne

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